गुजरात:सूरत। तपस्वियों के गूंजते जयकारे, रंगबिरंगे फूलों से सुसज्जित भगवान के रथ, झूमते नाचते युवा, जयघोष करता जन सैलाब, बैंड की सुमधुर स्वर लहरियों से निर्मित भक्तिमय माहौल, चुनरिया साफा व जैनत्व की पहचान पंचरंगी दुपट्टापहनेश्रावकगण, गीत गाती श्राविकाएं। कुछ ऐसा ही नजारा था 751से अधिक तपस्वियों के सम्मान में निकली शोभायात्रा का था।शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में युग दिवाकरखरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में मंगलवार 10 सितंबर को सुबह तपस्वियों का वरघोड़ा निकाला गया। संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश मंडोवरा और युवा परिषद के अध्यक्ष मनोज देसाई ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि आज 10 सितंबर को 751 से अधिक तपस्वियों वरघोडा निकाला गया। डेढ़ से दो किमी की लंबी वरघोड़ा यात्रा में दो हाथी, पांच घोड़े, 51 बग्गियां सहित अन्य का आकर्षण थे।
शेरगढ़ सिणधरी सांचौर पट्टी के करीब 300 तपस्वी वरघोड़े में आस्नित थे। सभी तपस्वी बग्गियों में बैठे थे। वरघोड़े का जगह जगह पर स्वागत हुआ। संघ के सद्स व तपस्वियों के परिजन शामिल हुए। पाल के मुख्य मार्गो से यह भव्य वरघोड़ा निकला। पश्चात सभी तपस्वियों का बहुमान किया गया। आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज बादल छाए हुए थे, बारिश की संभावना थी, लेकिन दादा गुरूदेव की कृपा हुई। सूरत के सभी जगहों पर बारिश हुई लेकिन वरघोड़े में बारिश नहीं हुई। इससे बड़ा चमत्कार क्या हो सकता है? उन्होंने कहा कि अनुमोदना की महिमा अपरम पार है।