गुजरात के सौराष्ट्र में चाइनीज लहसुन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राजकोट के गोंडल यार्ड में चाइनीज लहसुन पहुंचने पर शुरू हुआ विरोध और बॉयकॉट पर आ गया है। व्यापारियों और किसानों ने सरकार ने कार्रवाई की मांग की है। व्यापारियों पूरे सौराष्ट्र में चाइनीज लससुन की नीलामी को रोक दिया है।गुजरात में प्रतिबंधित चाइनीज लहसुन के आने के लेकर को विरोध बढ़ गया है। इसके बाद पूरे सौराष्ट्र की यार्ड में लहसुन की नीलामी बंद कर दी गई है। यह फैसला सौराष्ट्र की व्यापार एसोसिएशन ने लिया है। व्यापारियों की मांग है कि चीनी लहसुन से भारत के किसानों-व्यापारियों आर्थिक नुकसान को होगा। तो वहीं दूसरी तरफ लहसुन उत्पादक किसानों ने आरोप लगाया है कि जैसे ही लहसुन की मांग बढ़ी तो यार्ड में चाइनीज लहसुन घुसने का प्रयास किया गया है। बाजार में एक मन लहसुन की कीमत 4,000 रुपये से 5,000 रुपये तक मिलती है। राजकोट यार्ड में प्रतिदिन 1200 से ज्यादा लहसुन की बोरियां आती हैं। सिर्फ गोंडल यार्ड में 2000 मन से ज्यादा लहसुन की रोजाना आवक होती है। किसानों और व्यापारियों ने सरकार ने प्रतिबंधित चीनी लहसुन के बाजार में आने पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
सौराष्ट्र के यार्ड में चाइनीज लहसुन दो दिन पहले पहुंचा था। तब गोंडल सब्जी मार्केट यार्ड में उसे वक्त बवाल मच गया था। शुरुआती विरोध के बाद अब चाइनीज लहसुन के खिलाफ व्यापारियों ने मोर्चा खोल दिया है। यार्ड में 30 कट्ठा चीनी लहसुन पहुंचा। अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में चीन लहसुन का विरोध सामने आ चुक है। चीन बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती करता है। इसके बाद वह दुनिया के तमाम देशों में इस वैध और अवैध तरीके से भेजता है।किसानों और व्यापारियों की मांग है कि सरकार चीनी लहसुन घुसाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे। उनका कहना है कि जब भारत सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है उसके बावजूद गुजरात के सब्जी मार्केट में चीनी लहसुन कैसे पहुंचे यह एक बहुत बड़ा सवाल है? किसानों की दलील कि राज्य में किसान पहले ही बाढ़ के चलते फसलों की भारी नुक्सान के बोझ तले दबे हुए हैं। ऐसे में अगर चाइनीज लहसुन या अन्य चाइनीज सब्जियां भारतीय बाजार में आती है तो जाहिर है किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।