आनेवाले चुनावों में श्री काशी विश्वनाथ की कृपा से विजय प्राप्त करें और फिर देश के प्रधानमंत्री बनें। पीएम ने 2014 और 2019 के बाद तीसरी बार विजय की कामना से षोडशोपचार पूजन किया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में विजय और पुन: देश के प्रधानमंत्री बनने का संकल्प लेकर पूजन किया। मंदिर के अर्चक ने पीएम को देश का प्रधानपद प्राप्त करने की कामना का संकल्प दिलाया। पीएम मोदी माथे पर त्रिपुंड, हाथों में त्रिशूल और सिर पर लौंग-इलायची और बादाम की शृंगार माला पहने थे।शनिवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में अर्चक श्रीकांत मिश्र ने प्रधानमंत्री को संकल्प दिलाया और षोडशोपचार पूजन करवाया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने 2014 में पहली बार और 2019 में दूसरी बार विजय की कामना के साथ बाबा विश्वनाथ का षोडशोपचार पूजन किया था। यह तीसरा मौका है, जब वह वाराणसी से प्रत्याशी बनने के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजन के लिए पहुंचे। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि संकल्प की कामना को पूर्ण करने के लिए भगवान शिव के पंचोपचार, षोडशोपचार और राजोपचार पूजन का विधान है।
पीएम ने 15 मिनट तक गर्भ गृह में षोडशोपचार पूजन किया और मंदिर परिसर मे 20 मिनट तक रहे। रुद्र सूक्त मंत्रों के साथ ये पूजन करवाया गया। उन्होंने देश की खुशहाली का भी संकल्प लिया। अभीष्ट की सिद्धि से पूजन के पहले संकल्प का विधान है। बिना संकल्प लिए किसी प्रकार की पूजा कभी भी पूर्ण नहीं मानी जाती है। साथ ही पूजा का पूरा फल भी प्राप्त नहीं होता है। पूजा में संकल्प लेने का मतलब होता है कि अपने इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर पूजन कर्म को संपन्न करना। मान्यता है कि जिस पूजा में बिना संकल्प लिए पूजा कर्म किया जाता है, उसका सारा फल देवराज इंद्र को चला जाता है।श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि पूजन के दौरान पीएम के सिर पर बाबा विश्वनाथ के फूलों का मुकुट रखा। फूलों का यह मुकुट विशेष है। प्रो. पांडेय ने बताया कि जब काशी विश्वनाथ का शृंगार होता है तो फूलों का मुकुट बनाकर बाबा के मस्तक पर सजाया जाता है। इसी मुकुट को अर्चक ने बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद स्वरूप पीएम को पहनाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ गर्भगृह के दक्षिणी द्वार से गर्भगृह में प्रवेश किया। मुख्यमंत्री ने पूजन के बाद प्रधानमंत्री को स्मृति चिन्ह के रूप में डमरू और नाग जड़ित त्रिशूल भेंट किया। मुख्यमंत्री ने जय श्रीराम लिखा अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया। घनपाठी वैदिकों ने घनपाठ मंगलाचरण से प्रधानमंत्री का धाम में स्वागत हुआ।पीएम ने इलायची की माला पहनी, त्रिपुंड लगवाया और त्रिशूल धारण कियाइलायची की माला आध्यात्मिकता को बढ़ाती है- इलायची का शुक्र के साथ संबंध होता है। यह प्रगति को बढ़ावा देता है और उन्नत ज्ञान प्रदान करता है। इसके अलावा इलायची की माला भक्तों की मनोकमाना को पूर्ण करती है और आध्यात्मिकता को बढ़ाती है।
त्रिशूल धारण करने से दूर होती है नकारात्मकता - त्रिशूल धारण करने से जीवन की नकारात्मकता का नाश होता है और व्यक्ति आध्यात्मिक जीवन की तरफ अग्रसर होते हैं। त्रिशूल एक व्यक्ति के घमंड को भी समाप्त कर उसे अपने प्रभु के और पास आने का मौका देता है. वो इस भौतिक जीवन को छोड़ सत्य की अनुभूति करता है।त्रिपुंड से मन में बुरे विचार नहीं आते - त्रिपुंड लगाने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि जो भी भक्त ललाट पर त्रिपुंड धारण करता है, उसे बुरी शक्ति प्रभावित नहीं कर पाती है। त्रिपुंड से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख शांति बनी रहती है।जंबू द्वीपे भारत वर्षे, भरत खंडे आर्यावर्ते गत देशांतरेगते अविमुक्त वाराणसी क्षेत्रे आनंदवने महाश्मशाने गौरी मुखे त्रिकंटक विराजते असि वरुणो मध्ये..भारत कल्याणार्थं देशेस्मिन सुख, शांति, सौमन्यस्य अभिवृद्धयर्थम समस्त भारतीयानां धर्म बुद्धि लाभ्यार्थम, कृत कायिक, वाचिक, मानसिक, सांसारगिक पातक ज्ञात अज्ञात दुरित क्षय द्वारा: धर्मार्थ काम मोक्ष पुरुषार्थ: चतुष्टय: सिद्ध्यर्थं श्री विशेश्वर सांब सदाशिव प्रीत्यर्थं विशेषत: आगामी निर्वाचने: श्री काशी विश्वनाथ कृपा अनुग्रह द्वारा: विजयश्री प्राप्त्य: पुनश्च: देशस्य प्राधान्यपद: कामना: श्री विशेश्वर सांब सदाशिव सन्निधौ यथा विधि पूजनं करिष्यसि…