टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने समुद्र में मीलों नीचे गए अरबपतियों के रोमांच के सफर का दुखद अंत हुआ। पनडुब्बी के लापता होने के बाद अब सभी यात्रियों को मृत घोषित कर दिया गया है। दरअसल अमेरिकी नौसेना ने रविवार को एक तेज धमाके की आवाज सुनी थी, उसी दिन टाइटन समर्सिबल लापता हुई थी। अब कई दिन का सर्च अभियान चलाने के बाद भी जब पनडुब्बी का कुछ पता नहीं चल पाया तो अब सभी यात्रियों को मृत घोषित कर दिया गया है। अब बताया जा रहा है कि विनाशकारी अंतःस्फोट में पनडुब्बी तबाह हो गई है। बता दें कि विस्फोट का उल्टा अंतःस्फोट होता है। विस्फोट में कोई भी चीज अंदर से बाहर की तरफ फटती है, वहीं अंतःस्फोट में बाहर से अंदर की तरफ दबाव के चलते धमाका होता है। समुद्र के अंदर फोरेंसिक जांच के विशेषज्ञ टॉम मैडॉक्स ने सीएनएन के साथ बातचीत में बताया कि पनडुब्बी में किसी ढांचागत खामी की वजह से, पनडुब्बी उस पर पड़ने वाले बहुत ज्यादा दबाव को झेल नहीं सकी और धमाके में बिखर गई।
विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्र की गहराई में पानी का किसी भी चीज पर दबाव बहुत ज्यादा होता है। यह चार-पांच हजार पौंड प्रति वर्ग इंच तक हो सकता है, जो धरती के मुकाबले 350 गुना ज्यादा होता है। ऐसे में पनडुब्बी में कोई छोटी सी खामी भी भारी पड़ सकती है। पनडुब्बी में छोटा सा लीक भी अंतःस्फोट का कारण बन सकता है। गौरतलब है कि यह विस्फोट मिली सेकेंड के भी एक अंश में होता है यानी की पलक झपकने से भी कम समय में पनडुब्बी में जबरदस्त विस्फोट हो गया होगा और यात्रियों को सोचने-समझने का भी समय नहीं मिला होगा। बता दें कि समर्सिबल हादसे में मारे गए पांच यात्रियों में पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश अरबपति शहजादा दाऊद, उनके बेटे सुलेमान दाऊद, ब्रिटिश अरबपति हामिश हार्डिंग, फ्रांस के एक्सप्लोरर पॉल हेनरी और पनडुब्बी का संचालन करने वाली कंपनी ओशनगेट के सीईओ स्टॉकटन रश शामिल थे। इन लोगों ने कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से 16 जून को अपने सफर की शुरुआत की थी। ये सभी लोग एक जहाज से पहले अटलांटिक महासागर में उस जगह पहुंचे, जहां टाइटैनिक जहाज का मलबा मौजूद है। इसके बाद 18 जून को ये सभी यात्री समर्सिबल से पानी के अंदर उतरे। सुबह 9 बजे ये लोग समुद्र की गहराई में उतरे और सुबह करीब 11.47 बजे ही पनडुब्बी का संपर्क टूट गया। पांचों यात्रियों को शाम 6.10 बजे सतह पर वापस लौटना था। जिसके बाद शाम 6.35 बजे बचाव कार्य शुरू किया गया। पनडुब्बी में 96 घंटे की ही ऑक्सीजन थी। गुरुवार को अथॉरिटीज ने सभी यात्रियों को मृत घोषित कर दिया और पनडुब्बी में अंतःस्फोट होने का खुलासा किया।
टाइटन एक रिसर्च और सर्वे के काम में इस्तेमाल होने वाली पनडुब्बी थी, जिसमें चालक समेत पांच लोगों के बैठने की क्षमता थी। इसके अलावा लोगों को समुद्र की गहराई तक पर्यटन कराने के लिए भी पनडुब्बी का इस्तेमाल किया जाता था। टाइटैनियम और कार्बन फाइबर की बनी इस पनडुब्बी का ढांचा 22 फीट लंबा था और इसका वजन करीब 10,432 किलो था। यह पनडुब्बी 4000 मीटर की गहराई तक जाने में सक्षम थी। इस पनडुब्बी का प्रबंधन करने वाली कंपनी ओशनगेट का कहना है कि इस पनडुब्बी का व्यूपोर्ट इतनी गहराई तक जाने वाली पनडुब्बियों में सबसे बड़ा था। इस पनडुब्बी में चार इलेक्ट्रिक थर्स्टर्स लगे थे, जो पनडुब्बी को दिशा और 3 नॉट की गति से चलने में मदद करते थे। पनडुब्बी का प्रेशर वेसल भी कार्बन फाइबर और टाइटैनियम का बना था, जिसमें 96 घंटे की ऑक्सीजन भरी होती थी। इस पनडुब्बी में एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का कम्युनिकेशन सिस्टम लगा हुआ था। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि पनडुब्बी का कम्युनिकेशन किन कारणों से टूटा। पनडुब्बी के हादसे की अन्य वजह इसमें पावर फेलियर या सब-कम्युनिकेशन सिस्टम की दिक्कत हो सकती है।