महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे की पदयात्रा मुंबई की तरफ जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे-वैसे भीड़ भी बढ़ती जा रही है. जरांगे अपनी मांग पर अड़े हुए हैं और मराठाओं को ओबीसी के तहत आरक्षण दिए जाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. मनोज जरांगे 26 जनवरी को मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल रैली को संबोधित करेंगे. जरांगे कह चुके हैं कि अगर महाराष्ट्र सरकार आंदोलन को नजरअंदाज करेगी तो वो मुंबई में ही भूख हड़ताल कर देंगे. ऐसे में सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है.जरांगे कह चुके हैं कि अगर महाराष्ट्र सरकार आंदोलन को नजरअंदाज करेगी तो वो मुंबई में ही भूख हड़ताल कर देंगे. ऐसे में सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है. मनोज जरांगे की मांग है कि मराठाओं को कुनबी समाज में शामिल किया जाए ताकि पूरा मराठा समुदाय ओबीसी कैटेगरी में आ जाएगी और आरक्षण का लाभ ले सकेगी.मराठाओं को ओबीसी के तहत आरक्षण देने की पात्रता तय करने के लिए महाराष्ट्र में मंगलवार को सर्वे का काम शुरू हो गया है. महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के द्वारा कराए जा रहे सर्वे मराठा समुदाय और ओपन कैटेगिरी को शामिल किया गया है. यह ओबीसी सर्वे 31 जनवरी तक पूरा हो जाएगा, लेकिन मनोज जरांगे अपने कदम से पीछे हटने को तैयार नहीं है. मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जारांगे के साथ जिस तरह से भीड़ जुट रही है, अगर वो मुंबई में दाखिल होती है तो एकनाथ शिंदे सरकार के लिए भीड़ को संभालना एक चुनौती हो सकती है.
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण कानून (2021 में कानून रद्द होने के बाद ओबीसी आरक्षण की मांग बढ़ी) को रद्द करने के अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक सुधारात्मक याचिका दायर की है. समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता के लिए सुधारात्मक याचिका अंतिम विकल्प है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे के अपने समर्थकों के साथ मुंबई में प्रवेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन शिंदे सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा कि नगर की सड़कों पर जाम नहीं हो. शिंदे सरकार के लिए यह राजनीतिक रूप से विस्फोटक स्थिति बन गई है, क्योंकि 2024 का लोकसभा चुनाव सिर पर है.दरअसल, मनोज जरांगे की मांग है कि मराठाओं को कुनबी समाज में शामिल किया जाए ताकि पूरा मराठा समुदाय ओबीसी कैटेगरी में आ जाएगी और आरक्षण का लाभ ले सकेगी. मनोज जरांगे ने 25 अक्टूबर 2023 को जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में भूख हड़ताल शुरू की थी. उस समय आंदोलन से जुड़े 29 लोगों ने सुसाइड कर लिया था, जिससे शिंदे सरकार पर दबाव बढ़ गया था. महाराष्ट्र में सीएम शिंदे की अध्यक्षता में नवंबर 2023 को सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सहमति जताई कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना ही चाहिए. इस बैठक में शरद पवार समेत 32 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे.
शिंदे कहा था कि यह निर्णय लिया गया है कि आरक्षण कानून के दायरे में और अन्य समुदाय के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए. आरक्षण के लिए अनशन पर बैठे मनोज जरांगे से अपील है कि वो अनशन खत्म करें, हिंसा ठीक नहीं है. राज्य की शिंदे सरकार के चार मंत्रियों ने जरांगे से मुलाकात कर भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की थी. इसके बाद उन्होंने स्थायी मराठा आरक्षण देने का वादा किया था, जिसके चलते 2 नवंबर 2023 को मनोज जरांगे ने अनशन खत्म कर दिया था. जरांगे ने उस समय सरकार को 2 जनवरी 2024 तक का समय दिया था और कहा था कि अगर सरकार तय समय में आरक्षण नहीं देगी तो 2024 में हम फिर मुंबई में आंदोलन करेंगे.महाराष्ट्र में एकनाथ शिंद के नेतृत्व वाली सरकार ने 2 जनवरी 2024 तक मराठा समुदाय के आरक्षण का फॉर्मूला तलाश नहीं सकी. इसकी वजह यह थी कि महाराष्ट्र सरकार के लिए कशमकश की स्थिति बनी है, क्योंकि ओबीसी समुदाय अपने आरक्षण में से कुछ भी प्रमुख मराठों को नहीं देना चाहते हैं. बीजेपी सहित सभी पार्टियों के ओबीसी नेता खुलकर विरोध में उतर गए थे और साफ कर दिया था कि वे अपना कोटा घटना बर्दाश्त नहीं करेंगे. ऐसे में शिंदे सरकार बैकफुट पर आ गई थी और कुनबी जातीय का प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया रोक दी थी.
मराठा आरक्षण देने की डेट लाइन शिंदे सरकार ने जो तय की थी, वो क्रॉस हो गई है. ऐसे में मनोज जरांगे अपने समर्थकों के साथ 20 जनवरी को जालना जिले में अपने गांव अंतरवाली सराती से मुंबई तक मार्च निकाला है. हजारों समर्थक रास्ते में मार्च में शामिल हुए और 26 जनवरी को मुंबई में प्रवेश करेगा. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार रास्तों को अवरुद्ध होने से रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करे और आंदोलनकारियों के शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए एक उचित स्थान निर्धारित करने का प्रयास करें. कोर्ट ने यह फैसला सरकार की उस याचिका पर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जरांगे के शहर में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा था कि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है.वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आदेश पर पिछड़ा आयोग 23 जनवरी से मराठा समुदाय के सर्वे शुरू कर दिया है. इसके जरिए यह पता लगाया जाएगा कि मराठा समुदाय के लोग सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कितने पिछड़े हैं. महाराष्ट्र में 31 जनवरी तक चलने वाला यह सर्वे सभी 36 जिलों, 27 नगर निगमों और सात छावनी बोर्डों में किया जाएगा. महाराष्ट्र में मराठा समुदाय न सिर्फ तादाद में सबसे बड़ा, बल्कि राजनीतिक रूप से सबसे प्रभावशाली वर्ग है. ऐसे में शिंदे सरकार लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मराठा समुदाय की नाराजगी का जोखिम उठाना नहीं चाहती है?