नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने से इसके कारण पड़ने वाले असर को भांपते हुए विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु ने साफ कर दिया है कि वे इस कानून को अपने राज्यों में लागू नहीं होने देंगे। बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अब साफ कह दिया है कि सीएए संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है। साथ ही केवल केंद्र सरकार को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार है।अमित शाह ने एक इंटरव्यू में विपक्षी नेताओं पर 'तुष्टिकरण की राजनीति' करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि सीएए मोदी सरकार द्वारा लाया गया है। इसे रद्द करना संभव नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल साथ आएंगे और सहयोग करेंगे।
गृह मंत्री शाह ने सवाल करते हुए कहा, 'क्या आपके पास अधिकार है कि आप इसके लागू होने से इनकार कर सकते हैं?' उन्होंने कहा कि यह लोग समझते हैं कि उनके पास अधिकार नहीं है। हमारे संविधान में नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को दिया गया है। कानून और उसके लागू करने का अधिकार केंद्र का क्षेत्र है, न कि राज्य का।उन्होंने आगे कहा, 'हमारे संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता के संबंध में नियम बनाने की सारी शक्तियां देता है। मुझे लगता है कि चुनाव के बाद हर कोई सहयोग करेगा। वे तुष्टिकरण की राजनीति के लिए दुष्प्रचार कर रहे हैं।'यह है सीएए नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। एक दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी। सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी। ऐसे अल्पसंख्यक, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हों।
केंद्र द्वारा सीएए लागू करने के बाद ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कानून की आलोचना की और कहा कि वे इसे अपने राज्यों में लागू नहीं करेंगे। कांग्रेस ने सीएए लागू करने के समय को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि इस साल अप्रैल-मई में संभावित लोकसभा चुनावों से पहले नियमों को लागू किया गया है। कांग्रेस के एक नेता कहा कि अगर 2024 में इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो सीएए रद्द कर दिया जाएगा, अमित शाह ने विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधा और कहा कि वे भी जानते हैं कि वे सत्ता में नहीं आएंगे।
उन्होंने कहा कि सीएए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा लाया गया है। सीएए को निरस्त करना असंभव है। यह पूरी तरह से संवैधानिक कानून है। सीएए के संबंध में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कानून पर रोक नहीं लगाई है। उन्होंने अनुच्छेद 370 को लेकर भी उन पर निशाना साधा और कहा कि दशकों पहले इसे अदालत में चुनौती दी गई थी, लेकिन इसका तब तक इस्तेमाल होता रहा जब तक कि भाजपा नीत सरकार द्वारा इसे रद्द नहीं कर दिया गया।अमित शाह ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सीएए पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती भी दी। उन्होंने कहा, 'मैं उद्धव ठाकरे से कहना चाहता हूं कि वह यह स्पष्ट करें कि सीएए लागू किया जाना चाहिए या नहीं। वह अल्पसंख्यकों का वोट चाहते हैं और तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी सहित सभी विपक्षी दल झूठ की राजनीति कर रहे हैं। समय का कोई सवाल ही नहीं है। भाजपा ने 2019 में अपने घोषणापत्र में कहा था कि हम सीएए लाएंगे और अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता देंगे। 2019 में, इसे दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था, लेकिन कोविड के कारण देरी हुई। विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति करना चाहता है और अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहता है। उनका पर्दाफाश हो चुका है और देश के लोग जानते हैं कि सीएए इस देश का कानून है। मैंने 41 बार कहा है कि इसे चुनाव से पहले लागू किया जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा कि किसी वर्ग या किसी व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा। कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख शरणार्थियों और घुसपैठियों के बीच का अंतर नहीं समझती हैं। उन्होंने कहा, 'मैं ममता बनर्जी से अपील करना चाहता हूं। राजनीति के लिए कई मंच हैं। कृपया बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदुओं का विरोध न करें। आप खुद बंगाली हैं। मैं उन्हें खुली चुनौती दे रहा हूं और उन्हें हमें यह बताना चाहिए कि इस कानून में कौन सा भाग किसी की नागरिकता छीन रहा है। वह सिर्फ डर पैदा कर रही हैं और वोट बैंक को मजबूत करने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन पैदा कर रही हैं।'