पिछले काफी समय से गुजरात में मेघराजा का मिजाज बदला हुआ नजर आ रहा है. परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति बन गई है कि यदि कहीं बारिश कम हो जाए तो बाढ़ का पानी पानी हो जाता है। धार धीमी होने से तेज बारिश होने लगी है. गुजरात में जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का पैटर्न बदल गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश की बढ़ती तीव्रता गुजरात के लिए अच्छा संकेत नहीं है. पानी की कमी के दिन गए, लेकिन गुजरात में भारी बारिश का हल्का आगमन चिंता का विषय है।
पिछले काफी समय से भारत के अलग-अलग हिस्सों में तापमान में बदलाव हो रहा है। साथ ही हवा की गति-पैटर्न में भी बदलाव आ रहा है, समुद्र ज़मीन की ओर बढ़ रहा है। इन सभी कारकों ने गुजरात में बारिश की तस्वीर बदल दी है। जिन जगहों पर कम बारिश होती थी, वहां भारी बारिश हो रही है, जबकि जहां पर्याप्त बारिश होती थी, वहां बारिश की कमी है.
इसके अलावा बारिश का पैटर्न भी इस तरह बदल गया है कि जहां बारिश होती है, वहां पांच-छह बूंदें एक साथ गिरती हैं, जबकि अन्य जगहों पर बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरती, उदाहरण के तौर पर पिछले 15 सालों में इतनी बारिश हुई है. कच्छ-सौराष्ट्र में बारिश बढ़ गई है. वर्षा पैटर्न में बदलाव के कारण गुजरात में भारी से बहुत भारी वर्षा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। मौसम में आए इस बदलाव से गुजरात में पानी की समस्या तो दूर हो गई है लेकिन भारी बारिश ने दस्तक दे दी है. मेघराजा का बदला हुआ मूड गुजरात के लिए अच्छा संकेत नहीं है.मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के दौरान गुजरात में भारी बारिश और बाढ़ की आशंका है. किसानों के लिए बड़ी खबर ये है कि बाढ़ की घटनाएं बढ़ेंगी.